(धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया) नोटबंदी के 4 साल बाद देश में पेमेंट करने के व्यवहार में अंतर आया है। बैंकों में नकली नोट मिलना ढाई गुना तक घटे हैं। वहीं देश में नोटबंदी के समय से करीब 50 फीसदी से अधिक नगदी होने के बावजूद डिजिटल ट्रांजेक्शन पांच गुना बढ़े हैं। हालांकि कालेधन पर इसका खास असर नहीं हुआ है।
पेमेंट के आंकड़े देखें तो अक्टूबर माह में यूपीआई प्लेटफार्म से 2.9 से तीन लाख करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ जबकि एटीएम से नकद निकासी 2.4 लाख करोड़ रुपए रही। काेविड-19 से पहले यूपीआई पर रोजाना चार करोड़ लेन-देन हाेते थे जो अक्टूबर में सात करोड़ लेन-देन रोजाना होने लगे।
एनपीसीआई के चेयरमैन दिलीप अस्बे के मुताबिक नोटबंदी के बाद ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में वृद्धि हुई है, लेकिन कोविड-19 के बाद यह और तेजी से बढ़ा। इस दौरान ऑन लाइन पेमेंट कंपनियों की संख्या भी दाे गुना से ज्यादा बढ़ी हैं। भीम एप के अधिक तेजी से न बढ़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि भीम एंकर एप और स्टार्टर के रूप में आया था। भीम एप का उद्देश्य था कि जिन बैंकों के पास एप नहीं है उन्हें बैंकिंग सुविधा दी जाए।
इन 3 टेबल से समझिए नोटबंदी का क्या असर हुआ
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