कृषि कानून के विरोध में पिछले 57 दिनों से पंजाब में किसान 32 जगहों पर रेलवे ट्रैक व स्टेशनों पर धरना दे रहे हैं। इस वजह से रेल यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। पैसेंजर और मालगाड़ियों को रोक दिया गया है। इस वजह लोगों को तो परेशानी हो ही रही साथ ही रेलवे को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। रेलवे को 19 नवंबर तक लगभग 2220 80 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है।
मालगाड़ियों के नहीं चलने से पंजाब, जम्मू, लद्दाख और हिमाचल में कोयला और पेट्रोलियम जैसे जरूरी चीजों का स्टॉक लगभग खत्म होने की कगार पर है, जिससे कि इन राज्यों में आर्थिक संकट जैसे हालात पैदा होने लगे हैं। कोयले के अभाव में इन जगहों पर 90 प्रतिशत पावर प्लांट बंद हो गए हैं। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की ओर से पंजाब से अन्य राज्यों में सप्लाई होने किए जाने वाले गेंहूं व चावल की आवाजाही भी रुक गई है।
पेट्रोलियम, फर्टिलाइजर, सीमेंट व स्टील की हो रही किल्लत
किसान आंदोलन के कारण न सिर्फ कोयला बल्कि पेट्रोलियम, फर्टिलाइजर, सीमेंट, स्टील की भारी किल्लत शुरू हो गई है। इन सभी किल्लत के कारण जमाखोरी शुरू हो गई है। आपको बता दें कि 24 सितंबर से पंजाब में कृषि कानून के विरोध में किसानों ने रेल रोको आंदोलन चला रखा है, जिस वजह से सभी मालगाड़ियां और पैसेंजर ट्रेनें निरस्त चल रही हैं।
किसानों के आंदोलन के कारण रेल सेवा पूरी तरह ठप हो गई है। उत्तर रेलवे की विभिन्न साइटों पर 230 रैक्स फंसे हुए हैं। 2352 ट्रेनों को रद्द और डायवर्ट करना पड़ा है। इस कारण रेलवे को रोजाना करोड़ों का घाटा उठाना पड़ रहा है। उत्तर रेलवे स्तर पर 2220 करोड़ का घाटा हो चुका है। -दीपक कुमार, सीपीआरओ, उत्तर रेलवे
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