किसानों के सामने दिल्ली पुलिस बैकफुट पर आ गई। उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए पुलिस ने जो रणनीति बनायी वह सब धरी रह गई। ऊपर से दिल्ली सरकार ने भी पुलिस का साथ नहीं दिया। पुलिस ने दिल्ली सरकार से नौ स्टेडियम को अस्थायी जेल बनाने के लिए अनुमति मांगी थी, जबरन दिल्ली में प्रवेश करने वाले किसानों को पकड़ कर ले जाया सके।
हालांकि, ऐसा नहीं हो सका और सरकार ने केंद्र के अधीन दिल्ली पुलिस का साथ देने के बजाए किसानों के साथ खड़े होने का निर्णय लिया। ऐसे में बीच का रास्ता अख्तियार कर किसानों को शांति पूर्ण तरीके से बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में प्रदर्शन की अनुमति दे दी गई। रात को करीब 50 वाहनों से किसान निरंकारी ग्रााउंड पहुंचे।
शुक्रवार सुबह से ही सिंधू बार्डर और टिकरी बार्डर के हालात की पूरी जानकारी दिल्ली पुलिस अफसरों की ओर से गृह मंत्रालय को दी जाती रही। पुलिस की ओर से सरकार को संकेत दे दिया गया था कि अगर इनके साथ ज्यादा जोर जबरदस्ती कर रोकने की कोशिश की गई तो हालात और कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है।
सिंधू बार्डर और टिकरी बार्डर पर सुबह से दोपहर तक कई बार बातचीत का दौर चला, पथराव और लाठीचार्ज होने के साथ ही आंसू गैस के खूब गोले छोड़े गए। खास बात ये है कि इस बार प्रदर्शनकारियों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए पुलिस ने पहली बार एक नई चाल चली थी।
किसानों को रोकने के लिए केवल कंटीले तार ही नहीं लगाए गए सिंधू बार्डर पर मिट्टी से भरकर ट्रक लाइन से खड़े कर दिए गए। ताकि ज्यादा वजन होने की वजह से टस से मस ही नहीं हो सके। पुलिस के लिए यह भी थोड़ी राहत की सांस थी, कि प्रदर्शनकारी अब जंतर मंतर या रामलीला मैदान तक नहीं पहुंच सकेगें।
कोरोना के नियमों पर किसानों ने याद दिलाया बिहार चुनाव प्रचार
शुक्रवार सुबह से ही सिंधू बार्डर और टिकरी बार्डर पर किसान और पुलिस के बीच तनातनी का माहौल बना रहा। दिल्ली पुलिस के सीनियर अफसर लगातार मौके से किसानों से बात कर उन्हें समझाते रहे। पहले उन्हें रोकने के लिए कोरोना नियमों का भी हवाला दिया गया।
उनसे कहा गया कि अभी दिल्ली में कोरोना के कारण धरना प्रदर्शन पर रोक लगी हुई है, लेकिन किसानों ने भी पुलिस को टका सा जवाब दे दिया। कहा कि बिहार में चुनाव हुए तब ये कोरोना के नियम कायदे कानून कहां चले गए।
वहां टेलीविजन पर आने वाली खबरों में वोट मांगने के लिए निकलने वाले जुलूस और धरने को देखा जा सकता था। किसानों ने यह तक कहा दिया कि हम अहिंसा के रास्ते पर चल सरकार के सामने अपनी बात रखने के लिए दिल्ली आए है। देश की राजधानी में प्रवेश करने के लिए हमें किसी तरह के वीजा की जरूरत नहीं है।
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