दिल्ली सरकार यमुना नदी को प्रदूषण रहित करने के दिशा में अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सीवर के दूषित जल को ट्रीटमेंट के बाद ही यमुना में छोड़ा जाए। इसके लिए जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघब चड्ढ़ा ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि इंटरसेप्टर सीवर प्रोजेक्ट से 106 प्रतिशत नालों का कनेक्शन होना चाहिए ताकि सारे सीवर का पानी एक साथ एकत्र होकर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में पानी पंहुचे।
जल बोर्ड के उपाध्यक्ष आज चीफ इंजीनियर, एक्जिक्यूटिव इंजीनियर, एसटीपी मैनेजमेंट टीम और दिल्ली जल बोर्ड के कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ द्वारका के 40एमजीडी पप्पनकलां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया और संबंधित अधिकारियों और इंजीनियर्स को पप्पनकलां एसटीपी बायोडाइजेस्टर के फेज-I को जल्द शुरू करने का निर्देश दिया।
उन्होंने ये भी कहा कि इंटरसेप्टर सीवर प्रोजेक्ट से 100 प्रतिशत नालों का कनेक्शन होना चाहिए ताकि ये सुनिश्चित हो कि सारे सीवर का पानी एक साथ इकट्ठा करके सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचाया जा सके। चड्ढ़ा ने बताया कि हर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में एक इनलेट चैंबर होता है, जहां पहली बार सीवर का गंदा पानी पहुंचता है।
यहां से सीवेज का पानी ग्रिट क्लासिफायर में पहुंचता है, उसके बाद ये प्राइमरी सेटलिंग टैंक में पहुंचता है जहां से ये वायु-मिश्रण टैंक में भेजा जाता है। वायु मिश्रण टैंक के बाद ये सीवेज फाइनल सेटलिंग टैंक में पहुंचता है जहां से ट्रीट किया हुआ सीवेज नदी में प्रवाहित किया जाता है।
एसटीपी की इस संरचना में प्राइमरी सेटलिंग टैंक एक अहम हिस्सा होता है क्योंकि ये सीधा रॉ स्लज टैंक से जुड़ा होता है जो आगे जाकर गैस होल्डर से जुड़ता है और ये गैस इंजन के जरिए बिजली उत्पादन में मदद करता है।
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