निरंकारी ग्राउंड में आंदोलन के लिए सुचारु इंतजाम, काम में जुटी सरकारी मशीनरी

किसानों को अपनी आवाज उठाने के लिए बुराड़ी के निरंकारी ग्राउंड में जगह तो दे दी गई लेकिन वहां सभी किसान आने को राजी नहीं। मध्यप्रदेश, छतीसगढ़, राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र के अलावा कई राज्य के किसान यहां पहुंचे हुए हैं, जिनकी संख्या अभी छह-सात सौ से करीब है। ज्यादातर किसान सिंधू और टिकरी बार्डर पर ही डटे हुए हैं।

निरंकारी ग्राउंड में पहले दिन किए गए इंतजाम के हिसाब से यहां करीब सौ मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था की गई है तो वहीं लगभग पचास पानी के टैंकर का इंतजाम किया है। सुबह से शाम तक सरकारी मशीनरी यहां आंदोलन के लिए मूलभूत सुविधाओं का इंतजाम कराने की कोशिश में जुटी रही। इस ग्राउंड में दो बड़े बड़े पंडाल लगाए जा रहे हैं, जिनकी लोगों को कवर करने की क्षमता करीब एक लाख है। वहीं पुलिस अधिकारी अपने स्तर पर सुरक्षा को ध्यान में रख स्थिति का जायजा लगातार ले रहे हैं। ग्राउंड के मेन गेट पर मैटल डिटेक्टर से लेकर डॉग स्क्वायड और बम निरोधक दस्ता भी मौजूद है। इस ग्राउंड के आसपास भारी संख्या में दिल्ली पुलिस के जवान तो तैनात हैं ही साथ में पैरा मिलिट्री फोर्स और सीआईएसएफ के जवान भी मोर्चा संभाल चुके हैं।

पुलिस ड्रोन के जरिए भी इधर आने वाले लोगों पर नजर बनाए रखे हुए हैं। इधर आ रहे किसान अपने ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर पहुंच रहे हैं, जिनमें खानपान का पूरा इंतजाम वह अपने साथ करके लाए हैं। ग्राउंड में लंगर भी चालू हो चुका है। किसानों से पुलिस लगातार मास्क लगाकर रखने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की गुहार लगाती रही।

आंदोलनकारी किसानों को लंगर खिलाया गया।

नार्थ एमसीडी ने मुहैया कराई मूलभूत सुविधाएं
किसान कानून के विरोध में दिल्ली पहुंचे किसानों के लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने निरंकारी ग्राउंड में सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवा दी हैं। साथ ही ग्राउंड में निरंतर साफ-सफाई का काम जारी है। नार्थ एमसीडी के महापौर जय प्रकाश ने बताया कि यहां आने वाले किसी भी किसान को कोई तकलीफ नहीं होने दी जाएगी। यहां 25 मोबाइल टॉयलेट वैन लगाए गए हैं, जिसमें करीब 200 सीट हैं। साफ-सफाई के लिए 10 स्वच्छता कर्मचारी के साथ एक सेनेटरी इंस्पेक्टर भी यहां तैनात किया गया है।

पूरी तरह से अलर्ट पर दिल्ली पुलिस
यहां राजस्थान से पहुंचे सुखविंदर सिंह ने कहा वे जब तक दिल्ली छोड़कर वापस जाने वाले नहीं, तब तक सरकार उनकी मांगे नहीं मान लेती। चाहे इसके लिए तीन महीने गुजर जाए या पूरा साल। वहीं दलजीत सिंह ने कहा वे अपने साथ कई महीने के लिए खानपान का पूरा इंतजाम करके आए हैं। दिल्ली आने वाले सभी बार्डर पर वाहनों को चैकिंग के बाद ही प्रवेश करने दिया जा रहा है। शनिवार दोपहर बाद कुछ किसान यूपी की ओर से एनएच-9 पुल के नीचे गाजीपुर बार्डर पर धरने पर बैठ गए।

सिंधू बॉर्डर पर शनिवार को भी किसान आंदोलन में शामिल हुए प्रदर्शनकारी टस से मस नहीं हुए। तीसरे दिन सुबह से ही आगे की रणनीति बनाने के लिए प्रदर्शनकारियों की मीटिंग होती रही। उनकी एक ही मांग है कि सरकार का व्यक्ति यहां पर आए और खुले आसमान के नीचे हमसे बात करके बिल को वापिस लेने का आश्वासन दे।

तभी वह प्रदर्शन खत्म करेगें। नहीं तो वे साथ में छह महीने का राशन लाए हैं। इस आंदोलन के बाद शनिवार को भी दिल्ली की सड़कों पर जाम की स्थिति बनी रही। कहीं एंबुलेंस फंसी दिखाई दी और कहीं पर दमकल की गाड़ियां। जिनको चाहकर भी वाहन चालक रास्ता नहीं दे पा रहे थे। शनिवार सुबह करीब 10 बजे जब कुछ नेताओं से पुलिस ने बातचीत करने की कोशिश की थी। लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर डटे रहे थे। उनका कहना था कि वह दिल्ली की सीमा में नहीं घुसे हैं और न ही घुसना चाहते हैं। प्रदर्शनकारियों ने सुबह पहले टायर जलाकर नारेबाजी की फिर कुछ घंटे बाद भारत के प्रधानमंत्री का पुतला फूंका।
बाघा बॉर्डर से आए हरबख्श सिंह ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को किसी भी चीज की कमी नहीं रहे।

इसके लिए वह खुद अपने साथियों के साथ ट्रक में खाने पीने का सामान लाए हैं। सिंधू बॉर्डर पर शनिवार को एक अलग ही नजारा देखने के लिए मिला। असल में शुक्रवार को जिस तरह से आंदोलनकारी एकजुट थे। शनिवार सुबह से ही कुछ प्रदर्शनकारी चार पांच के गुट में दिल्ली बॉर्डर को पार करते हुए दिखाई दिये थे। भनक पड़ते ही आंदोलनकारियों ने हाथों डंडे आदी लेकर इन लोगों को जबरन रोकने की कोशिश की।

हुक्का-पानी भी साथ लेकर चले है आंदोलनकारी किसान।

कोरोना से भी खतरनाक है कृषि कानून, इससे पूरा परिवार ही हो जाएगा खत्म : सरजीत सिंह

नई दिल्ली पंजाब से आए सरजीत सिंह ने कहा कि सरकार आंदोलन के बारे में बोल रही है कि कोरोना फैलने का डर है। लेकिन सरकार जो कोरोना से भी खतरनाक बिल कृषि बिल लेकर आई है। उससे पूरा परिवार ही खत्म हो जाएगा। कहां पर जमीन रहेगी और कहां पर हम अपना सामान बेचेगें। सरकार ने किसानों के बारे में कुछ नहीं सोचा है। वहीं पंजाब से आए राजपाल सिंह ने बताया कि परिवार ने उनको कहा है कि जब वापिस आना जब सरकार कृषि बिल को वापिस कर ले। उससे पहले घर वापिस नहीं आना। इस बिल की वजह से छोटे किसान आत्महत्या करने की स्थिति में आ जाएंगे। हमारी औरतें भी जल्द ही इस आंदोलन में बड़े स्तर पर जुड़ने वाली हैं। जिनका हम भी समर्थन करेगें।

विधेयकों से एपीएमसी मंडियां खत्म होने की आशंका : सुखचैन सिंह
करनाल से आए सुखचैन सिंह ने बताया कि बिल के आने से एपीएमसी मंडियां खत्म हो जाएंगी। जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो कोई मंडी आना नहीं चाहेगा। इसके चलते आढ़तियों और मंडी कारोबारियों को काफी नुकसान होगा। ऐसे में आढ़तियों और कारोबारियों की भरपाई कैसे होगी।

केजरीवाल बताएं किसानों से अन्याय क्यों : रामवीर बिधूड़ी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भाजपा ने पूछा है कि वो बताएं कि वो दिल्ली के किसानों के साथ अन्याय क्यों कर रही है। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि मुख्यमंत्री केजरीवाल की सरकार भले ही खुद को किसानों का सबसे बड़ा समर्थक व हितैषी होने का दावा करती हो। लेकिन सच यही है कि जितना अन्याय व अत्याचार दिल्ली के किसानों के साथ हो रहा है उतना देश के किसी भी हिस्से में नहीं हो रहा। बिधूड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को बताना चाहिए कि उन्होंने दिल्ली के किसानों के लिए क्या किया है। बिधूड़ी ने कहा कि यदि कोई किसान एक ट्रैक्टर खरीदता है तो उसे कमर्शियल वाहन मानकर लाइसेंस दिया जाता है और 24 हजार रुपए का रोड टैक्स लिया जाता है। यदि सरकार उसको प्राइवेट वाहन मानती तो उनको इतना टैक्स नहीं देना पड़ता।



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शनिवार दोपहर बाद कुछ किसान यूपी की ओर से एनएच-9 पुल के नीचे गाजीपुर बार्डर पर धरने पर बैठ गए।


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