नगर निगम सदन ने एक बार फिर डोर टू डोर कूड़ा उठाने वाली कंपनी इको ग्रीन के सभी लंबित पेमेंट्स पर रोक लगाने और कंपनी का टेंडर रदद् करने का प्रस्ताव पास किया। बुधवार को नगर निगम सदन में प्रस्ताव पास किया गया कि अब से कंपनी को कोई भी पेमेंट नहीं किया जाएगा। पार्षदों ने कम्पनी की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की।
इसके साथ ही पार्षदों ने फरीदाबाद नगर निगम को सहायतार्थ राशि देने पर आपत्ति जताई। सभी ने एकमत से प्रस्ताव पास किया कि अब से फरीदाबाद नगर निगम को सहायता के तौर पर एक भी रुपए नहीं दिया जाएगा। दरअसल, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए निर्धारित सफाई का बजट खत्म हो गया है। सदन ने चालू वित्त वर्ष के लिए सफाई का बजट आवश्यकतानुसार बढ़ाने अनुमति दी।
बैठक में सफाई और विकास कार्यों में लापरवाही को लेकर पार्षदों ने संबंधित अधिकारियों की जमकर खिंचाई की। इस बार निगम कमिश्नर विनय प्रताप ने स्पष्ट कर दिया था कि पार्षदों के सवालों का जवाब संबंधित विभागों के अधिकारी देंगे। इसलिए इस बार पार्षद और अधिकारियों के बीच खींचतान रही। पार्षदों ने अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर की। सबसे अधिक हंगामा इको ग्रीन कंपनी को लेकर हुआ।
बैठक में वार्ड-34 के निगम पार्षद आरएस राठी ने सवाल-जवाब के सेशन में इकोग्रीन कंपनी का मुद्दा उठाया, जिसमें पूछा गया कि करार के हिसाब से समय-सीमा के भीतर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट न लगाने पर कंपनी से कितना जुर्माना लगाया और वसूला गया। अधिकारी इस पर पूरी तरह मौन रहे। इसपर पार्षदों ने समर्थन करते हुए कंपनी को हटाने का प्रस्ताव पास कराया।
राठी ने कहा कि करार में स्पष्ट लिखा है कि यदि कंपनी 2 साल के भीतर प्लांट नहीं लगाती तो निगम की तरफ से बिना किसी जुर्माना के एक वर्ष की समय-अवधि और बढ़ाई जा सकती है लेकिन उसके बाद कंपनी पर जुर्माना लगेगा लेकिन अब कंपनी को 3 साल से अधिक का समय बीत चुका है, बावजूद इसके कोई जुर्माना नहीं लगाया।
राठी ने कहा कि अधिकारी कंपनी के खिलाफ कोई अनुशानत्मक कार्रवाई नहीं कर रहे। अधिकारियों से सवाल किया कि यदि कंपनी प्लांट नहीं लगा सकी तो कंपनी को दिए गए 200 करोड़ रुपए की रिकवरी कैसे होगी। अधिकारी मौन रह और कोई जवाब नहीं दिया।
इसके बाद इस मुद्दे पर अन्य पार्षदों ने भी हंगामा करना शुरू कर दिया और कंपनी को हटाने के खिलाफ बैठक में सर्वसम्मिति से प्रस्ताव पास किया गया। वहीं इसी कंपनी को 25 करोड़ रुपये की राशि नगर निगम से एडवांस देने के प्रस्ताव को भी रद्द कराया गया।
रेवेन्यू रास्ते की जमीन को अदला-बदली का खेल नगर निगम में नहीं रूक रहा
रेवेन्यू रास्ते की जमीन को अदला-बदली का खेल नगर निगम में नहीं रूक रहा। इस सदन की बैठक में भी चौमा गांव की लगभग 4144 वर्ग गज जमीन को उसी गांव में कलेक्टर रेट पर जमीन दे दी जबकि निगम वाली जमीन में बिल्डर ने प्रोजेक्ट विकसित हुआ है जिसकी मार्केट के हिसाब से निगम को 16 करोड़ रुपये से भी अधिक का नुकसान उठाना पड़ेगा।
पार्षदों के विरोध करने के बाद बिना चर्चा किए सदन ने जमीन को बदलने का प्रस्ताव पास कर दिया।
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