कोरोना टेस्ट के नाम पर लोगों से मनमानी शुल्क वसूलने वाले लैब संचालकों पर राज्य सरकार ने शिकंजा कस दिया है। अब ज्यादा फीस लेने पर संबंधित के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। सरकार ने अब टेस्ट की दरें तय कर दी है। इससे अधिक शुल्क लेने पर कोविड 19 एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।
यही नहीं राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने जिले में संचालित हो रही लैब की निगरानी करें। संदिग्ध लैब की रेंडम चेकिंग करें और वहां टेस्ट कराने वालों से भी जानकारी लें।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है यदि कोई लैब संचालक सरकार द्वारा निर्धारित राशि से अधिक पैसे ले रहा है तो कोई भी व्यक्ति लिखित में या फिर सीएमओ और डिप्टी सीएमओ के मोबाइल पर मैसेज अथवा वाट्सएप के जरिए शिकायत कर सकता है।
जानकारों की मानें तो प्राइवेट लैब संचालकों ने कोरोना टेस्ट के नाम पर खूब मनमानी की है। लोगों से पांच हजार रुपए तक लिए गए हैं। लगातार ये शिकायतें सरकार और स्वास्थ्य विभाग के उच्चाधिकारियों तक पहुंच रही थीं। इसके बाद सरकार ने एक्शन लेते हुए शुल्क निर्धारित कर दिया। जिले में लैब की संख्या 200 से अधिक है। इसके अलावा अस्पतालों की लैब अलग हैं।
जानकारों का कहना है कि मई और जून में जब कोरोना पीक पर था और लोगों में इसको लेकर डर बना हुआ था तब प्राइवेट लैब में टेस्ट कराने के लिए 4900 से 5000 रुपए तक वसूल किए जा रहे थे। खास बात यह है कि इसके लिए लैब संचालक लोगों से कैश पैसे लेते थे और लोगों को इसकी रसीद भी नहीं देते थे।
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