उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगे मामले में पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से कोर्ट में दाखिल चार्जशीट के अनुसार गवाहों के बयान दंगा आरोपियों की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। स्पेशल सेल ने कोर्ट में लगभग 17 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। इस चार्जशीट में कई बड़े खुलासे किए गए हैं।
दंगे की जांच कर रही स्पेशल सेल द्वारा दाखिल चार्जशीट के अनुसार कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां और खालिद सैफी सहित कई नेताओं ने धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए थे। जिसके कारण उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगा भड़का था।
भड़काऊ भाषण का मुख्य उद्देश्य लोगों के मन में एक दूसरे समुदाय के प्रति नफरत पैदा करना था जिससे दंगा भड़क सके। चार्जशीट में कहा गया है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पूरी प्लानिंग के साथ दंगा भड़काया गया था। कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में कई गवाहों के बयानों का जिक्र है जिन्होंने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा-161 के तहत अपने बयान दर्ज कराए हैं।
गवाहों ने अपने बयान में कहा है कि प्रदर्शन के दौरान एक्टिविस्टों ने ना केवल एंटी सीएए के खिलाफ भाषण दिए, बल्कि सरकार और देश के खिलाफ भी जनता को भड़काने का काम किया है। संरक्षित गवाहों में से एक ने अपने बयान में कहा कि खालिद सैफी और अन्य स्थानीय नेताओं ने खुरेजी खास इलाके में सीएए का विरोध शुरू किया था।
विरोध प्रदर्शन के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया के कुछ छात्रों ने वहां रहने के लिए आसपास के इलाकों में कमरे भी किराए पर लिए थे। 26 फरवरी को जब वहां नेता भड़काऊ भाषण दे रहे थे तो पुलिस ने उन्हें भाषण रोकने के लिए भी कहा था। रुकने के बजाय स्थानीय नेताओं ने पुलिस के साथ पहले झड़प व बाद भी भीड़ जुटने पर लड़ाई शुरू कर दी जिसके बाद वहां हिंसा भड़क गई।
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