सड़क हादसों में सबसे अधिक दुपहिया वाहन चालकों की हो रही मौत को लेकर केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने वाहन सवार के लिए हेलमेट (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश 2020 को मंजूरी देते हुए बीआईएस मानक वाले हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया है।
इसके लिए दिल्ली के रहने वाले सामाजिक फिल्म निर्देशक, निर्माता उल्लास पीआर की 2014 से नॉन बीआईएस हेलमेट की बिक्री को बंद करने के लिए अभियान छेड़ते हुए प्रधानमंत्री, केन्द्रीय परिवहन मंत्री से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं।
दुपहिया चालकों की मौत ड्राइविंग के दौरान हुई दुर्घटनाओं में बिना हेलमेट या नॉन आईएसआई हेलमेट पहनने के कारण हुई। इसके बाद 2010 में दो पहिया वाहनों के लिए बीआईएस मानक वाले हेलमेट अनिवार्य करवाने के लिए उल्लास ने लगातार 392 दिनों तक पीएमओ में शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें 2017 में 100 दिन और 2020 में 292 शिकायत दर्ज करवाई।
इसके बाद अलग-अगल 29 राज्यों में जाकर दोपहिया सवारों की हो रही मौत अन्य मामलों की जानकारी के लिए 40 आरटीआई लगाई, फिर सर्वोच्च न्यायालय से जानकारी प्राप्त करने की अर्जी लगाई थी।
उनका यह मिशन यहीं नहीं रुका। उन्होंने टीवी और होर्डिंग पर चल रहे बिना हेलमेट वाले विज्ञापनों को भी बंद करवाया। 2019 अगस्त में बीआईएस हेलमेट अनिवार्य करने के लिए बन रहा कानून 6 माह के लिए टला। इस साल मार्च में 6 माह की अवधि दी गई। इसके लिए आम जनता से सुझाव मांगे गए।
महिलाओं के लिए हैलमेट करवाया अनिवार्य
इस अभियान की शुरुआत 2010 से हुई थी। जब दिल्ली में महिलाओं के लिए हेलमेट अनिवार्य नहीं था। उन्होंने इसके लिए भी काफी लंबी लड़ाई लड़ी, तब जाकर 2014 में दिल्ली सरकार ने महिलाओं के लिए हेलमेट अनिवार्य किया।
वहीं रोचक है कि नॉन बीआईएस हेलमेट पहनना गैरकानूनी है मगर बनाना और बेचना गैर कानूनी नहीं है। इसके बाद इन्होंने एक और मुहिम छेड़ी कि नॉन बीआईएस हेलमेट बनाना और बेचना गैर कानूनी किया जाए।
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