सेविले चरण तोहरख हे छठी मइया सुनि लेहू अरज हमार....निर्धन जानेला, ई धनवान जानेला हम करेली छठ बरतियां से उनखे लागी....जैसे लोकगीत शनिवार को छठ पर्व पर गूंजे। उगते सूर्य की पूजा अर्चना के साथ चार दिवसीय छठ पर्व का समापन हो गया। व्रती महिलाओं ने सुबह घरों पर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया और प्रसाद खाकर अपने व्रत को पूरा किया। इस दौरान लोगों ने आतिशबाजी भी की।
हालांकि इस बार कोरोना के कारण घाटों पर छठ मनाने की अनुमति नहीं थी। इसलिए लोगों ने घरों पर पर ही यह पर्व मनाया। शनिवार को सुबह से ही घरों में छठी मइया के गीत गूंज रहे थे। व्रती महिलाएं गीत गाते हुए परिजनों के साथ सुबह सूर्य के उदय होने की प्रतीक्षा करने लगीं। सूर्य की लालिमा दिखी तो शहर मां छठी मइया के जयघोष से गूंज उठा। इस दौरान चारों ओर उत्सव व उल्लास का माहौल था।
सुबह 6.48 बजे सूर्य के उदय होते ही व्रतियों ने अर्घ्य देकर मंगलकामना की। महिलाओं ने उन्हें दूध और जल का अर्घ्य देकर प्रसाद अर्पित किया। भगवान भास्कर की आरती की। श्रद्धालुओं ने भोजपुरी लोकगीत गाकर खुशी मनाई। ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-87 स्थित एसआरएस पर्ल फ्लोर सोसाइटी, सेक्टर-49 सैनिक कॉलोनी, कपड़ा कॉलोनी, एनआईटी तीन आदि स्थानों पर पूजा कर रही व्रती महिलाओं ने कहा कि छठी मइया की पूजा अर्चना करने से घर परिवार में खुशियां आती हैं। पुत्र लाभ भी मिलता है।
नहाय खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही समाप्त हो गया। एनआईटी तीन स्थित आदर्श समाज सेवा समिति के प्रधान बीके पांडेय ने कहा कि प्रशासन की ओर से अंतिम समय जारी किए गए निर्देश पर रोष प्रकट किया।
उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से छठ पूजा के लिए एक सप्ताह पहले निर्देश जारी किया जाना चाहिए था। जिससे पूजा समितियों द्वारा घाटों की साफ सफाई व अन्य कार्यों पर किया गया खर्च बच जाता।
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