भारत कोरोना से रोज होने वाली मौतों में चौथे स्थान पर खिसका

कोरोना से जंग के माेर्चे पर भारत को धीरे-धीरे ही सही, लेकिन मौतें रोकने में सफलता मिल रही है। रोज होने वाली मौतों के मामले में भारत दुनिया में अब चौथे स्थान पर खिसक गया है। भारत में पिछले 7 दिन में कुल 3626 मौतें हुईं, जो अमेरिका से आधे से भी कम हैं।

रोजाना मौतों के आंकड़े देखें तो भारत में दुनिया की सिर्फ 5.21% मौतें हाे रही हैं। यहां सिर्फ दिल्ली और बिहार ही ऐसे राज्य हैं, जहां पिछले महीने मौतों में बढ़ोतरी हुई, जबकि बाकी सभी राज्यों में मौतों की रफ्तार कम हुई है। इसी वजह से मौतों के आंकड़े गिरे हैं।

यही ट्रेंड रहा तो भारत अब इटली से भी पीछे हो जाएगा

1 हफ्ते रोजाना
में मौतें औसत

अमेरिका 8,246 1,178
फ्रांस 4,027 575
ब्राजील 3,631 519
भारत 3,626 518
इटली 3,501 500
मेक्सिको 3,301 472

भारत में दो महीने पहले सितंबर मध्य में औसतन 1150 से ज्यादा मौतें होने लगी थीं। अब यह औसत 518 पर आ गया है। इसी वजह से फ्रांस और ब्राजील रोजाना मौतों के मामले में भारत से आगे निकल गए। अब इटली में भी रोजाना मौतें तेजी से बढ़ने लगी हैं। अगर यही ट्रेंड बना रहा तो अगले 4-5 दिन में भारत रोजाना मौतों के मामले में पांचवें स्थान पर खिसक जाएगा।

ज्यादा मौतों वाले देशों में भारत ही ऐसा, जहां रोजाना मौतें घट रहीं

ज्यादा मौतों वाले अमेरिका समेत सभी देशों में रोजाना औसत लगातार बढ़ रहा है। ब्राजील में अचानक मौतें बढ़ी हैं। जबकि, भारत में रोजाना मौतों में गिरावट जारी है।

भारत में इन 6 राज्यों में रोजाना मौतों में गिरावट से कम हुए डराने वाले आंकड़े

(14 सितं से (14 अक्टू अंतर
13 अक्टू) से 14 नवं)

गुजरात 11.39% 5.36% 6.03%
आंध्रप्रदेश 27.09% 8.36% 18.73%
तमिलनाडु 23.58% 9.89% 13.69%
महाराष्ट्र 36.68% 12.11% 24.57%
तेलंगाना 27.41% 12.57% 14.84%
उत्तरप्रदेश 44.89% 12.60% 32.29%
इन राज्यों में मौतें बढ़ने की रफ्तार ज्यादा
(14 सितं से (14 अक्टू अंतर
13 अक्टू) से 14 नवं)
छत्तीसगढ़ 135.3% 93.49% 41.83%
केरल 134.8% 70.92% 63.88%
हिमाचल 224.6% 65.6% 159.08%
ओडिशा 68.29% 39.46% 28.83%
प. बंगाल 45.09% 29.24% 15.85%
हरियाणा 61.4% 24.29% 37.11%

अब आगे... सर्दी बढ़ने के साथ लक्षण वाले कोरोना मरीज भी बढ़ सकते हैं

यूरोप-अमेरिका में स्टडी- कोरोना से होने वाली मौतों में प्रदूषण भी बड़ी वजह

नई दिल्ली. ठंड के साथ बढ़ते प्रदूषण ने कोरोना के खतरे को कई गुना बढ़ा दिया है। आने वालों दिनों में लक्षण वाले मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। ऐसे में सांस और दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव के अनुसार, यूरोप-अमेरिका में हुए कुछ अध्ययनों से पता चला है कि कोरोना से होने वाली मौत में प्रदूषण का भी लिंक है। पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 में प्रदूषण के कण पर कोरोना का वायरस कुछ देर तक हवा में रहता है। इस दौरान उस जगह पर सांस लेने से वायरस के शरीर के अंदर जाने का खतरा रहता है। घर से बाहर मास्क उतारना खतरा साबित हो सकता है।

जानिए... ठंड, प्रदूषण और वायरस एक-दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं?

मौसम बदलने से वायरस की प्रकृति तो नहीं बदलती, लेकिन ठंड और प्रदूषण की वजह से कोरोना वायरस की उम्र बढ़ जाती है। यानी कोरोना के ड्रॉपलेट्स ज्यादा समय तक जिंदा रहते हैं। सर्दी में धूप भी कम ही निकलती है, ऐसे में संक्रमण की आशंका काफी बढ़ जाएगी।

अति सूक्ष्म कणों के साथ वायरस शरीर के अंदर काफी देर रहता है। इससे आने वाले दिनों में संभव है कि ऐसे कोरोना मरीज ज्यादा दिखें, जिनमें लक्षण हों। अभी तक 70 से 80% मरीजों में लक्षण नहीं दिखते थे। इसलिए, अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत कम पड़ती थी।

ठंड के साथ जब प्रदूषण बढ़ता है तो प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे संक्रमण का असर बढ़ जाता है। ठंड और प्रदूषण की वजह से गले और नाक की झिल्ली (मेम्ब्रेन) पर भी असर पड़ता है, इससे शरीर के अंदर मेटाबोलिज्म में भी बदलाव आता है।

अस्थमा व हृदय रोगियों में संक्रमण का खतरा ज्यादा
एम्स दिल्ली के निदेशक प्रो. रणदीप गुलेरिया के अनुसार, ठंड में कोई भी इंफ्लुएंजा वायरस तेजी से फैलता है। कोरोना सांस के माध्यम से होने वाली बीमारी है। इसलिए सर्दी में कोरोना तेजी से फैल सकता है।



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