आंखों में जलन, न कूड़ा जलना रुक रहा न सड़कों की मिट्‌टी उठ रही

शहर की हवा गुरुवार को खतरनाक स्तर पर पहुंच गई। हालत यह हो गई कि लोगों की आंखों में जलन और सांस लेने में परेशानी होने लगी। हैरानी की बात यह है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और ईपीसीए के सख्त आदेश के बाद भी नगर निगम, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण और जिला प्रशासन प्रदूसण को नियंत्रित करने में नाकाम साबित हो रहा है।

रही सही कसर करवा चौथ के त्यौहार ने पूरी कर दी। शहर के कई इलाकों में देर रात तक आतिशबाजी होती रही। अवैध तरीके से चोरी छिपे पटाखे बिक रहे हैं। पुलिस इन्हें रोक पाने में नाकाम है। यही नहीं डीसी के आदेश के बाद भी शहर की प्रमुख सड़कों और नेशनल हाइवे पर जमी धूल अभी तक नहीं उठाई गई।

सड़कों पर पानी का छिड़काव मात्र खानापूर्ति की जा रही है। यही नहीं शहर के अलग-अलग हिस्सों में धड़ल्ले से कूड़ा जलाया जा रहा है। लेकिन नगर निगम की 40 टीमें कूड़ा जलाने वालों को पकड़ नहीं पा रहीं। यही हाल रहा तो दिवाली से पहले ही शहर गैस चैंबर बन जाएगा।

एनसीआर का छठा सबसे प्रदूषित शहर रहा
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर नजर डालें तो गुरुवार दोपहर दो बजे शहर में पीएम 2.5 का स्तर 445 तक पहुंच गया था। जबकि बल्लभगढ़ का आंकड़ा 364 दर्ज किया गया। माना जा रहा है कि शहर में कूड़ा जलाने पर रोक न लगने और सड़कों से धूल न उठने के कारण प्रदूषण का स्तर खराब होता जा रहा है।

सेक्टर 16ए के आसपास सबसे अधिक प्रदूषण
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पूरे शहर में पांच स्थानों पर प्रदूषण मापक यंत्र लगाए गए हैं। इन केंद्रों के आंकड़ों के अनुसार सेक्टर-16ए के आसपास प्रदूषण का स्तर 450 दर्ज किया गया। जबकि सेक्टर-11 के आसपास 446, सेक्टर 30 के आसपास 410 और न्यूटाउन इंडस्ट्रियल एरिया में प्रदूषण का स्तर 447 दर्ज किया गया। बल्लभगढ़ की नाथू कॉलोनी के आसपास का प्रदूषण स्तर 364 रहा।

अधिकारी बोले, पानी छिड़काव में कोई कमी नहीं
नगर निगम के एसई विजय सिंह ढाका का कहना है कि प्रदूषण कम करने के लिए पानी के छिड़काव में कोई कमी नहीं है। सुबह छह बजे से ही काम शुरू कर दिया जाता है। लेकिन जानकर हैरानी होगी कि 207 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में सड़कों पर पानी छिड़काव के लिए महज 15 टैंकर और 4 फायर टेंडर लगाए गए हैं। इन्हें बीच में पानी खाली होने पर भरना भी पड़ता है। ऐसे में इतने कम संसाधनों से पानी का कितना छिड़काव हो पाएगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

तीन दिन से निगम के हेल्थ विभाग ने नहीं किया कोई चालान
शहर की आबोहवा शुद्ध बनाए रखने की जिम्मेदारी नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग की है। लेकिन ये ब्रांच अनाथ है। क्योंकि इस ब्रांच का चार्ज किसी के पास नहीं है। पहले एक्सईएन ओमवीर को जिम्मेदारी दी गई थी। वह एसई बनकर अंबाला चले गए। हैरानी की बात यह है कि इस ब्रांच में कोई एसडीओ तक नहीं है। केवल वरिष्ठ सफाई निरीक्षक के सहारे ब्रांच चलाई जा रही है। निगम स्वास्थ्य विभाग की मानें तो तीन दिन से प्रदूषण फैलाने को लेकर कोई चालान नहीं किया गया है। बहाना निगम सदन की बैठक, करवा चौथ और कर्मचारियों के ट्रांसफर का बताया जा रहा है।



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Irritation in eyes, no burning of garbage, nor soil of roads getting up


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