डेटा संरक्षण पर व्यापक कानून बनाने के मकसद से गठित संयुक्त संसदीय समिति ने दुनिया के सोशल मीडिया दिग्गजों की गवाही के बाद आम जनता से जुड़ी सेवाओं के उन संचालकों की ओर रुख किया है जो देश के नागरिकों का बहुत बारीक डेटा एकत्र करते हैं। कहने को तो वे ट्रांसपोर्ट से लेकर फोन के मालिक की पहचान तक जैसी सेवाओं देते हैं लेकिन इस बहाने उपभोक्ताओं की आदतों, उनके रहन सहन और उनके सुबह से शाम तक घूमने तक की सूचना वे जमा कर लेते हैं।
इन सेवाओं में ओला, उबर जैसे ट्रांसपोर्ट एग्रीगेटर, टेलीफोन सेवाएं देने वाले आपरेटर और आपके मोबाइल फोन पर आने वाले नंबराें की पहचान बताने वाले एप्स के प्रतिनिधियों को संसदीय समिति तलब करने जा रही है। इस क्रम में 4 नवंबर काे रिलायंस जियो की पेशी पहले हो रही है। जियो प्लेटफार्म्स लिमिटेड और रिलायंस जियो इन्फोकॉम के प्रतिनिधि बुधवार को गवाही देंगे। पांच नवंबर काे ओला, उबर और 6 नवंबर काे भारतीय एयरटेल और ट्रूकॉलर के प्रतिनिधियों काे बुलाया गया है। इन सभी डेटा एग्रीगेटरों काे समिति 30 से लेकर 50 सवालों की लंबी सूची सौंप रही है। उन्हें तीन सप्ताह का समय दिया जा रहा है।
- 4 नवंबर: जियाे प्लेटफॉर्म्स, रिलायंस जियो इन्फोकॉम लि.
- 5 नवंबर: ओला और उबर
- 6 नवंबर: भारती एयरटेल व ट्रूकॉलर
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