डीयू कॉलेजों के टीचर्स को एसएसएफ से वेतन देने पर रोक का आदेश वापस लेने से इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के 12 कॉलेजों के टीचर्स और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए छात्र निधि (एसएसएफ) के पैसे का इस्तेमाल करने के अरविंद केजरीवाल सरकार के आदेश पर रोक लगाने के अपने अंतरिम आदेश को वापस लेने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सरकार को इस मामले में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा है।

जस्टिस ज्योति सिंह ने दिल्ली सरकार के उस मांग को ठुकरा दिया जिसमें शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने के उसके फैसले पर रोक लगाने के आदेश को वापस लेने का आग्रह किया गया था। उन्होंने सरकार से कहा कि पहले हलफनामा दाखिल कीजिए और इसके बाद सभी 12 कॉलेजों का भी पक्ष सुना जाएगा। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब सरकार ने कहा कि कॉलेजों के पास धन की कोई कमी नहीं है।

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के वकील जिवेश तिवारी से इस मामले में सभी 12 कॉलेजों को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया। साथ ही कॉलेजों को अगली सुनवाई से पहले जवाब देने को कहा है। अब मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी।

हाईकोर्ट ने 23 अक्टूबर को दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने के लिए छात्र निधि के पैसे का इस्तेमाल करने के केजरीवाल सरकार के आदेश पर रोक लगा थी। कोर्ट ने डूसू की ओर से दाखिल याचिका पर आदेश दिया था।

दिल्ली सरकार ने उसके द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों को अपने शिक्षकों व कर्मचारियों को छात्र निधि से वेतन देने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने मौखिक तौर कहा था कि छात्रों के कोष को लेने के बजाय, सरकार को कॉलेज के कर्मचारियों को वेतन राशि का भुगतान करना चाहिए।

इन कॉलेजों के शिक्षकों को नहीं मिल रही है तनख्वाह
डीयू से संबद्ध आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, डॉ. भीम राव अम्बेडकर कॉलेज, भास्कराचार्य कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज, भगिनी निवेदिता कॉलेज, दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज, अदिति महाविद्यालय विद्यालय, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोर्ट्स साइंसेज, केशव महाविद्यालय, महाराजा अग्रसेन कॉलेज, महर्षि वाल्मीकि कॉलेज ऑफ एजुकेशन, शहीद राजगुरु कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंसेज फॉर वुमेन और शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज हैं।

छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ अभाविप का सीएम आवास की ओर कूच, धरने पर बैठे

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, दिल्ली के नेतृत्व में सोमवार को छात्रों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच कर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन में हिस्सा लिया। छात्रों को मुख्यमंत्री आवास से पूर्व ही पुलिस द्वारा विकास भवन के पास बैरिकेडिंग लगाकर रोक लिया गया ऐसे में छात्र उसी जगह धरने पर बैठ गए।

दिल्ली सरकार की छात्र विरोधी नीतियों के विरोध में अभाविप द्वारा किये जा रहे इस प्रदर्शन में दिल्ली विश्वविद्यालय, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज, अम्बेडकर विश्वविद्यालय और जेएनयू के छात्र शामिल हैं। छात्रों ने सरकार को यह बात स्पष्ट कर दी है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तब तक छात्र धरने पर बैठे रहेंगे।

अभाविप के नेतृत्व में छात्र बैनर, स्वनिर्मित पोस्टर, नारों तथा भाषणों के द्वारा अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। अभाविप दिल्ली के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा कि निवर्तमान दिल्ली सरकार ने प्रदेश में अपनी छात्र विरोधी नीतियों द्वारा उच्च शिक्षा का बंटाधार कर दिया है।

ढ़कोसलावाल ने एक तरफ तो उच्च शिक्षा में सीटें बढ़ाने की घोषणा की है, वहीं दूसरी तरफ कॉलेजों को बंद किया जा रहा है। जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय का एकमात्र ऐसा कॉलेज है जो मात्र चालीस हजार रुपये में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करा रहा है, लेकिन दिल्ली सरकार इसे भी बंद करने पर तुली हुई है। यह सरकार सस्ती और सबके लिए उपलब्ध शिक्षा के खिलाफ है।

छात्रों की प्रमुख मांगें हैं
1 इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के निहित जी बी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रथम वर्ष की दाखिला प्रक्रिया पुनः बहाल की जाए और कॉलेज को बंद करने का निर्णय वापस लिया जाए।
2 दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों में की गयी शुल्क वृद्धि को वापस लिया जाए।
3 दिल्ली सरकार के निहित दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों में शिक्षकों को वेतन देने के लिए स्टूडेंट्स सोसाइटी फंड के पैसे का प्रयोग करने की बात जिस आदेश में कही गयी है उसे तुरंत वापस लिया जाए। 4 जरूरतमंद छात्रों को कोरोना राहत पैकेज दिया जाए।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
विकास भवन के पास केजरीवाल सरकार के खिलाफ अभाविप के नेतृत्व में प्रदर्शन करते छात्र।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3kTbeES

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ