सरकार के काफी प्रयासों के बाद भी कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले कुछ निजी अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। मरीज की मौत के बाद भी ये मोटा बिल बनाने से बाज नहीं आ रहे। ऐसा ही एक मामला सेक्टर-21 के एक निजी अस्पताल का सामने आया।
दो दिन पहले इस अस्पताल में एनआईटी नंबर पांच निवासी 78 वर्षीय महेंद्र सिंह को कोरोना के इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। उनके बेटे ने बताया कि उनके पिता शुगर के मरीज थे। अस्पताल को उन्होंने बता दिया था कि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। वह अधिक बिल नहीं चुका पाएंगे। डाक्टरों ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनका रोज 30 हजार रुपए का बिल बनेगा। इस आश्वासन के बाद उन्होंने भर्ती कराया था। उनके पिता का 3 लाख रुपए का मेडिक्लेम भी था। इसमें से ढाई लाख रुपए तक का क्लेम मिलने की बात उन्होंने डाक्टरों को बता दी थी। पिता को एडमिट करने के बाद उनसे एक लाख रुपए जमा करने के लिए कहा गया तो उन्होंने असमर्थता जताई। इसके बाद उन्होंने किसी तरह से 25 हजार रुपए जमा कराए।
रविवार सुबह दस बजे उनके पिता की मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल ने उन्हें 3.80 लाख रुपए का बिल थमा दिया। जबकि पहले उनसे कहा गया था कि डेढ़ से दो लाख रुपए से अधिक बिल नहीं बनेगा। मेडिक्लेम से ढाई लाख रुपए लेने के बाद भी मोटा बिल भरने का उन पर दबाव बनाया गया।
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