कृषि कानून 2020 को दिल्ली सरकार द्वारा लागू कर पंजाब और हरियाणा के किसानों को आंदोलन में साथ देने को लेकर भाजपा और कांग्रेस ने सीएम केजरीवाल की खिंचाई की। जिसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पत्रकार वार्ता में बुधवार को इस मामले में सफाई दी है।
बता दें कि दिल्ली पूर्व भाजपा अध्यक्ष व उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, शिअद के राष्ट्रीय प्रवक्ता व डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिन्दर सिंह के द्वारा कृषि कानूनों को दिल्ली में लागू कर पंजाब और हरियाणा के किसानों को सियासी फायदे के लिए साथ देने के गंभीर आरोप लगाए थे।
इस मामले के उछलने के बाद दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने सफाई देते हुए कहा है कि केंद्र के तीनों कृषि कानून राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद पूरे देश में लागू हो चुके हैं, इसे लागू करने या न करने का अधिकार राज्य सरकारों के पास नहीं है।
केजरीवाल ने कहा है कि अगर ये तीनों काले कानून राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में होते, तो देश भर के किसान अपने-अपने मुख्यमंत्रियों से मांग करते। चूंकि ये काले कानून केंद्र सरकार के हैं, इसलिए राज्य सरकारें इसे रोक नहीं सकती हैं।
कैप्टन साहब ने इन बिलों को क्यों नहीं रोका
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कैप्टन साहब के पास यह बिल रोकने के कई मौके आए थे। केजरीवाल ने कहा पंजाब के लोग पूछ रहे हैं कि तब कैप्टन साहब ने इन बिलों को क्यों नहीं रोका? आज से डेढ़ साल पहले, 2019 में केंद्र सरकार ने यह तीनों काले कानून बनाने के लिए एक कमेटी बनाई थी।
उस कमेटी में कौन था? उस कमेटी में कैप्टन साहब थे। कैप्टन अमरिंदर किसके दबाव में मुझ पर झूठे आरोप लगा रहे हैं? वे बीजेपी की बोली बोल रहे हैं, क्योंकि उनके परिवार पर ईडी के केस चल रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि जब से मैंने दिल्ली के 9 स्टेडियम को जेल बनाने की अनुमति नहीं दी है, तब से केंद्र की भाजपा सरकार मुझसे ज्यादा नाराज है।
दिल्ली आने पर किसानों को इन स्टेडियमों में डालने की योजना थी। उन्होंने कहा कि मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि किसानों की सभी मांगे मानी जाएं और एमएसपी की गारंटी को कानून में डाला जाए।
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