महाशय खुद अपने ब्रांड के एंबेसडर थे, किसी सेलिब्रिटी को लेने के खिलाफ थे; कहते थे, ‘यह मेरा ब्रांड है, मुझसे ज्यादा इसके बारे में कौन बताएगा’

मनीषा भल्ला | मसाला किंग और एमडीएच मसाला कंपनी के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी (97) का गुरुवार को कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया। सफेद मूंछ और लाल पगड़ी से पहचाने जाने वाले महाशय 2017 में एफएमसीजी सेक्टर के सबसे ज्यादा कमाई वाले सीईओ थे। उनकी सैलरी 20 करोड़ रुपए थी। हालांकि इसका 90% हिस्सा दान कर देते थे। सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में जन्मे महाशय 5वीं की पढ़ाई छोड़कर 10 साल की उम्र में काम करने लगे थे। विभाजन के बाद 1500 रुपए के साथ भारत आए। दिल्ली में महाशय दी हट्‌टी (एमडीएच) नाम से मसालों की दुकान शुरू की, जो मसालों के सबसे बड़े एंपायर के रूप में खड़ी हो गई।

सकारात्मक सोचते, ऐसे ही लोगों को अपने पास रखते, इस उम्र में भी 18 घंटे काम करते

राजेंद्र कुमार, वाइस प्रेसीडेंट, एमडीएच समूह, (20 साल से जुड़े)
महाशय गुलाटी ने जीतोड़ मेहनत कर 2 हजार करोड़ रुपए का एमडीएच मसाला उद्योग खड़ा किया था। इस उम्र में भी उनकी और उनके कारोबार की सेहत फिट थी। इसके पीछे उनकी मेहनत और वक्त की पाबंदी थी। रोज सुबह 5 बजे उठना, पार्क में सैर, योग और मालिश करवाना नियम था। भोजन में सिर्फ दो चपाती, दाल, सब्जी लेते थे। कोई बुरी लत नहीं थी। रोज सुबह 9 बजे फैक्ट्री पहुंच जाते थे। सारे काम अपनी

निगरानी में करवाते। इस उम्र में भी 18 घंटे काम करते थे। कभी उन्हें नकारात्मक बातें करते नहीं देखा। हमेशा खुश रहते। सकारात्मक सोचते और ऐसे ही लोगों को आसपास रखते। उनसे मिलने कोई भी आ सकता था। जिसे वे समय देते, वह घंटों बैठकर जाता। जो समय नहीं ले पातेे, वे भी घंटों बैठकर जाते थे। जब भी किसी ने उनका नुकसान किया तो उन्होंने उसे माफ ही किया।

खूब चैरिटी करते, वे कहते थे, ‘पैसे में सुख दो घड़ी का, सेवा में शांति जिंदगीभर की’

तेंद्र गुप्ता, सीईओ, गेवेज पब्लिसिटी (76 साल से समूह से जुड़ी)
बतौर क्लाइंट और इंसान महाशयजी को भुलाना नामुमकिन है। उनकी फिट सेहत का राज आज भी अपने सारे काम खुद करना था। वक्त के पाबंद थे, अनुशासित जीवन जीते थे और खूब चैरिटी करते थे। 97वें जन्मदिन पर ही उन्होंने पांच करोड़ रुपए की चैरिटी की थी। वे कहते थे- ‘पैसे में सुख दो घड़ी का, सेवा में शांति जिंदगीभर की।’ रहम दिल ऐसे थे कि कोई भी मदद ले लेता था। वे एजुकेशन में इसलिए काम करते थे कि जो शिक्षा उन्हें नहीं मिल सकी, कम से कम वह दूसरे बच्चों को मिल सके। महाशय जी खुद ही अपने ब्रांड के एंबेसडर थे। वे किसी सेलिब्रिटी को लेने के सख्त खिलाफ थे। कहते थे कि मसालों के बारे में मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता है। इसलिए इसका विज्ञापन सेलिब्रिटी क्यों करेगा? वे 12 की उम्र से मसालों का कारोबार कर रहे थे। हथेली पर मसाले रखकर उसकी पहचान बता देते थे।



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महाशय गुलाटी का निधन


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